मेने ध्यान दिया की केचप की बोत्तल पर डिज़ाइन उल्टा होता है, बोत्तल को सीधा खड़ा करो तो डिज़ाइन गलत लगता है, पर अगर बोत्तल को ढक्कन की तरफ से खड़ा करे तो डिज़ाइन सीधा लगता है,
क्या है गलती है या अक्लमंदी?
में हमेसा मानता हु की डिजाइनिंग में सोच की कोई सीमा नहीं होती और डिज़ाइनर कुछ भी करे उसमे एक मतलब छुपा होता है, केचप की बोत्तल का डिज़ाइन उल्टा होना एक मार्केटिंग स्ट्रेटेजी में लगाया गया हुनरमंद दिमाग है,
उल्टा डिज़ाइन सिर्फ प्लास्टिक की बोत्तल में ही देखने को मिलता है ये डिज़ाइन कांच की बोत्तल में सीधा है,
पर क्यों ???
कांच की बोत्तल का तला निचे से चौड़ा होता है और ढक्कन छोटा होता है, तो कांच की बोत्तल को एक तरफ से की सीधा खड़ा किआ जा सकता है, और बोत्तल को खड़ा करने पर केचप बोत्तल के ताल में जमा हो जाता है, जब हमें केचप चाहिए होता है तो हम ढक्कन खोलते है और बोत्तल को पीट पीट के उसमे से केचप निकलने की कोसिस करते है, जैसा की पुराने कई विज्ञापनों में भी दिखाया गया है,
केचप कोम्पनिओ ने इस परेशानी को समझा और इसमें सुधार करके प्लास्टिक की बोत्तल चलन में लाये, इन बॉटल्स को दबा कर इसमें से केचप आसानी से निकला का सकता था
पर उन्होंने एक कमाल की चीज़ और की उन्होंने प्लास्टिक की बॉटल्स का ढक्कन इतना बड़ा बनाया की बोत्तल को ढक्कन के सहारे खड़ा किया जा सके इससे केचप निचे की तरफ रहता है और बोत्तल के खोलते ही उसमे से आसानी से बहार आजाता है, तो जब बोत्तल ढक्कन की तरफ से खड़ी होगी तो सीधा छापा डिज़ाइन उल्टा दिखेगा इसलिए प्लास्टिक के बॉटल्स में डिज़ाइन उल्टा ही बनाया गया,
इससे ये हुआ की दुकान पर जब बोत्तल ढक्कन से सहारे खड़ी हो या जब हम उसमे से केचप निकलते है तब भी हमें छापा प्रिंट सीधा ही दिखाई देता है,
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